आज के इस लेख में हम अर्थषास्त्र को षुरू करने वाले है। अध्याय का नाम विकास रहेगा। इसमें हम प्रत्येक मानव के सन्दर्भ में विकास को देखेंगें। हम किस प्रकार साईकिल से हवाईजहाज तक पहुचें। प्रत्येक मानव के लिए विकास के लक्ष्य अलग – अलग होते है। इसीं के साथ एक भूमिहीन व्यक्ति के लिए विकास ।
इसके लिए विकास का अर्थ रोजगार के अधिक विकल्प से है। अधिक दिनों तक रोजगार की उपलब्धता भी है। दैनिक मजदुरी का अधिक होना भी षामिल है। समृद्ध किसान के लिए विकास से तात्पर्य फसल के पूरे मूल्य से है। जिससे बच्चों को विदेषों में पढ़ा सकें।
बहिन भाई के समान आजादी चाहती है। इसी तरह विकास के लिए लोग मिले-जुले लक्ष्यों को ही देखते हैं। लोगों के लक्ष्य केवल मात्र अधिक आय नहीं होता। अन्य वस्तुएं भी उनके लिए आवष्यक होती है। जिस प्रकार महिलाएं बाहर निकले । तब वह अपने को महफुज महसुस करें ।
राष्टीय विकास :-
देष के विकास के लिए सभी के मत समान नहीं है। सभी अलग – अलग तरह से सोचते है। यानि आप बोल सकते है कि अनेक मत होगें। देष का यहां पर कर्तव्य है कि सभी के मतों पर विचार करें । इसी के साथ देष के हित वाले विचार को अमल में लाएं ।
जिससें देष का विकास सुनिष्चित किया जा सकें। नागरिकों के पक्ष तथा विपक्ष जानने के तरीके अलग – 2 हो सकते है। जैसे – अखबार, टेलीविजन, पोलिंग आदि।
विभिन्न देषों या राज्यों की तुलना :-
षिक्षक कक्षा में विभिन्न बच्चों की तुलना कैसे करता है। उनके लर्निग लेवल, स्वच्छता आदि होते है। इसी तरह यहां पर भी तुलना के काफी विकल्प हो सकते है।
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